आज ऐसा सच
मिला नहीं अब तक
आज में रहना, जीना
सिखा नहीं अब तक
अतीत में गुजरे मेरे सारे पल
भविष्य की चाह ने
छिना आज का पल-पल
अतीत की यादों को सहेजना
इस आदत में खोया
आज का सुन्दर लम्हा
पल छीन पल
अतीत ही में गुजरे मेरे सारे पल
अतीत की राख और भविष्य की आस
दोनों बेमतलब से है
अतीत है की गुजरता नही
भविष्य है की आता नहीं
फिर जो समय बचा है केवल
आज का सुन्दर पल
जी ले इसे
अतीत में ही न गुजर जाए सारे पल
रिंकी
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 06.06.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3358 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
Thanks a lot
Deleteअतीत की राख और भविष्य की आस
ReplyDeleteदोनों बेमतलब से है
अतीत है कि गुजरता नही
भविष्य है कि आता नहीं
सुंदर लिखा है।
Meena ji thanks a lot
Deleteसुंदर बोध करातीं पंक्तियाँ
ReplyDeleteAnita ji, Thanks
ReplyDelete