Friday, June 21, 2019

https://storymirror.com/read/poem/hindi/06fkqwf4/bettii/detail

बेटी 

अलग है वो
कुछ अद्भुत सा
न चाँद है

फरिश्ता है
पवित्र और पाक  
न सूरज है

रौशनी नई
हसरत नई सी 
न प्रेमी मेरा

वो है बेटी
नई उम्मीद है
नए दौर की 

सृजन करो
सुरक्षित संस्कृति
सुरक्षा करें

मुन्ना-मुन्नी में
न करो भेद अब
स्वतंत्रता

जरूरत है
समय समाज की
संकल्प करो

2 comments:

  1. सार्थक है जो वीव है जिसमें स्वांस है उससे भेद कैसा ...

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  2. Thanks Digamber....Google plus band hone ke aap kis plateform par active hai

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