https://storymirror.com/read/poem/hindi/06fkqwf4/bettii/detail
बेटी
बेटी
अलग है वो
कुछ अद्भुत सा
न चाँद है
फरिश्ता है
पवित्र और पाक
न सूरज है
रौशनी नई
हसरत नई सी
न प्रेमी मेरा
वो है बेटी
नई उम्मीद है
नए दौर की
सृजन करो
सुरक्षित संस्कृति
सुरक्षा करें
मुन्ना-मुन्नी में
न करो भेद अब
स्वतंत्रता
जरूरत है
समय समाज की
संकल्प करो
सार्थक है जो वीव है जिसमें स्वांस है उससे भेद कैसा ...
ReplyDeleteThanks Digamber....Google plus band hone ke aap kis plateform par active hai
ReplyDelete