बिहार ने अपने १०० साल के सफ़र को बड़े धूम-धाम से मनाया अपनी बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धियो के साथ देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेज़ विकास दर का जो बिहार पर पिछाड एवं गरीब राज्य होने के तमके को हटाने की तरफ एक मजबूत कदम है,पर सवाल यह है की विकास किसके लिए किया जा रहा है? क्यूंकि राज्य का एक बड़ा वर्ग विकास होते हुए भी इसके लाभ से वंचित देखी पड़ता है,इसकी पुष्टि खुद सरकार भी अलग –अलग तरीको से करती रही है वो वर्ग है बच्चो का हल ही मैं सरकार ने माना है की राज्य मैं 68% बच्चे स्कूल से ड्रॉप-आउट है,रास्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के 2012-2013 के रिपोर्ट में बच्चो की चिंताजनक परिस्तिथि को दर्शाता है 80 % बच्चे पाच साल से कम उम्र के कुपोषण के शिकार है,0-3 वर्ष के बच्चो के कुपोषण में 3% की बढ़ोतरी मैं २००२ के मुकाबले दर्ज की गई है,बात सिर्फ बच्चो तक सिमित नहीं है महिलाये की स्तिथि में भी गिरावट दर्ज किया गया है महिलाओ मैं कुपोषण के स्थर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है 1997 में लगभग ६०% महिलाएं कुपोषण का शिकार थी २००१२ मैं महिलाओ मैं कुपोषण का स्थर ६८.२% अंकित किया है,जिसका सीधा असर बच्चो पर साफ़ तौर से देखने को मिलता है,बात इससे भी आगे की है स्कूल,अगनावडी जैसे बुनियादी सुविधा भी सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे है कभी शिक्षक हड़ताल पर कभी अगनवाडी कार्यकर्ता अपनी मांगो लेकर प्रदर्शन में लगे रहते है सब को आपने हित की पडी है बच्चो की बात सबसे आखरी मैं की जाती है,गर विकास किसी राज्य के भविष्य(बच्चें) को लाभ ना पंहुचा रहा हो तो इस मुदे का गंभीरता से हल ढूँढने की आवश्कता है.
Everyone does have a book in them. Here is few pages of my life, read it through by my stories,poetry and articles.
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असली परछाई
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तूने खूब रचा भगवान् खिलौना माटी का इसे कोई ना सका पहचान खिलौना माटी का वाह रे तेरा इंसान विधाता इसका भेद समझ में ना आता धरती से है इसका ना...
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