एक साधु महात्मा कही जा रहे थे रास्ते में उनकी नज़र पानी मैं डूब रहे एक बिच्छू पर गई,उन्होंने तुरंत अपना हाथ पानी मैं डाला बिच्छु को निकलने के लिए पर बिच्छु ने उनके हाथ मैं डंक मार दिया और फिर पानी मैं डूबने लगा,महात्मा ने फिर अपना हाथ बिच्छु को पानी से निकलने के लिए बढया फिर से वही हुआ
आने –जाने वाले राहगीर देखने लगे जब एक राहगीर से रहा ना गया तब उसने महात्मा से पूछा,
साधु
जी आप क्यों इस ज़हरीले बिच्छु को पानी से निकलना चाहते है उसने आपके हाथ को लहू-लुहान कर दिया है ,साधू बोले डंक मारना इसका स्वभाव है और रक्षा करना मेरा वो अपने स्वभाव के अनुरूप कार्य कर रहा है और मैं मेरे स्वभाव के अनुरूप इसलिए मैं कोशिश करना नहीं छोड़ सकता जब तक मैं बिछ्छु को पानी से बाहर ना निकाल लूं.
“ससार मैं हर प्राणी अपने स्वभाव के अनुसार काम करता है हमें दुसरो के बुरे व्यवाहर को देखकर उनके साथ बुरा व्यवाहर कर के अपने आप को नहीं बदलना चहिये”
No comments:
Post a Comment
Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.