मुझसे मुझी को छीन कर
क्या मिला तोहे पिया
मेरी रवानी छीन कर
मैं हूँ कमली तुझी में हरदम खोई
ठहरी मैं तो उसी वक़्त से, नैना तुम से मिले
जब से
तेरा आना –जाना और मेरे ताकना
है ये मेरे रोज़ का हिस्सा
तू भुला मुझे को
जानू मैं इस बात को
प्यार,हवा और खुशबू को कैद
कैसे करे कोई
कैसे थोपे किसी पर अपने दिल के जस्बात को
मन तो मलंग है समझे ना अपनी –पराई
पूछे मुझसे तूने क्या खोया
जिस का था सब ले गया
अपने साथ वो
nice
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