Sunday, May 26, 2013

A letter to my LOVE

मुझसे मुझी को छीन कर
क्या मिला तोहे पिया
मेरी रवानी छीन कर

मैं हूँ कमली तुझी में हरदम खोई
ठहरी मैं तो उसी वक़्त से, नैना तुम से मिले 
जब से
तेरा आना –जाना और मेरे ताकना
है ये मेरे रोज़ का हिस्सा

तू भुला मुझे को
जानू मैं इस बात को
प्यार,हवा और खुशबू को कैद
कैसे करे कोई
कैसे थोपे किसी पर अपने दिल के जस्बात को

मन तो मलंग है समझे ना अपनी –पराई
पूछे मुझसे तूने क्या खोया
जिस का था सब ले गया
अपने साथ वो

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मेहरम

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