पतंग
नापने आसमान
का छोर
ज़मीन छोड उड़
चली
गगन की ओर
बांध अपने-आप
को एक डोर
हवाओ पर सवार
मडराती, अपने-आप
पर इतराती
उड़ रही
चिडियों के संग
वो नीली- हरी
पतंग
क्या हो अगर
टूट जाए डोर
आसमान से ज़मीन
पर आ गिरे वो
मिट जाएगी
हस्ती
बिखर जाएगा
जीवन का हर उमंग
ये डोर है जो
साँस की
खुद पर और
अपनों पर विश्वास की
रिश्ते- नाते,
सपने और ज़िन्दगी में विश्वास की
टूटे अगर तो
पतंग और ज़िन्दगी
हो जाए खाक सी
ज़िन्दगी और
पतंग हर वक़्त बंधे
डोर संग
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