Monday, February 20, 2023

क्या करना

मिथ्या संसार यहाँ तेरा मेरा, क्या करना 
छोड़ना इक दिन जमा डेरा, क्या करना ।

जब साथ जाना नहीं रत्ती-भर भी तो
धन दौलत के अंबार लगा, क्या करना ।

बेआबरू हो जिसके कूचे से हों निकले
दिल-ओ-दिमाग में उसे बसा, क्या करना।

हाथ पाँव चलते रहें मौत तक मेरे मौला
साँस भर लेती जिन्दगी का, क्या करना। 

जरूरत के वक्त पर हो जायें इधर उधर 
ऐसे यार दोस्तों को मुँह लगा, क्या करना।

जिसके दिल में नहीं हमदर्दी तुम्हारे लिए 
बीन दुखों की उसके आगे बजा, क्या करना। 

स्वार्थी दुनिया सारी होती मतलब की यारी
मदद की उम्मीदें किसी से लगा, क्या करना। 

कर्मो का फल भोगने आते हैं सब जीव यहाँ 
किसी से शिकायत गिला शिकवा, क्या करना।

दंगे फसाद का डर हर वक़्त बम फूटने का डर 
डर के साये में यूँ जिन्दगी बीता, क्या करना। 

शरीर पे बुढापे का असर आ जाता नजर 'शर्मा'
बालों को रंगा औ'झुरियों को छुपा, क्या करना। 

रामकिशन शर्मा

Monday, February 13, 2023

उम्मीद की थी

 मिला नहीं वो उम्मीद की थी जहाँ , से 

गिला शिकवा नहीं लेकिन जहाँ  ,से।।


माँ की कोख से जन्म लेते यहाँ सब 

टपकता नहीं कभी कोई आसमाँ ,से  ।।


जिन्दगी गुज़ार दी है सारी देते देते 

घबराता नहीं कभी किसी इम्तिहाँ, से ।।


कुछ भी नहीं लाता साथ अपने कोई 

साथ जा नहीं सकता कुछ भी यहाँ, से ।।


जाने ये कैसा वक़्त आ गया है मेरे यारो  

जी तो लोग रहें हैं पर परेशाँ परेशाँ , से ।।


बाट जोहते जोहते गईं हैं पत्थरा आँखें 

रूखसत होने को हूँ अब तो जहाँ , से ।।


नित्य योगा से गई चमक चेहरे की काया 

ढ़लती उम्र में भी लगे लगने वो जवाँ, से  ।।


बच्चा रोता परिवार हँसता पैदा होता जब 

परिवार रोता रुखसत होता जब जहाँ , से।।


डांटडपट गालीगलौज से नहीं होता हासिल 

हो सकता है जो बोल कर मीठी जुबाँ , से  ।।


कोख में अपनी रखती प्रसव -वेदना सहती

कौन है बढ कर धरती पे ममतामयी माँ, से ।।


जाता पड़ अकेला फंस जाता है मुश्किलों में 

जाता है बिछुड़ जब कोई अपने कारवाँ , से ।।


हर रात की यकीनन सुबह भी होती है यारो

बहार आयेगी फिर घबराता क्यों खिजाँ, से ।।


किसान डरता रहता पड़े ना मार मौसम की 

फसल न हो चौपट ओला बाढ़ सूखा तुफाँ, से ।।


कहाँ ढूँढता फिरता है 'शर्मा' सकूँ तु दिल का 

है ये भीतर ही छुपा तेरे नहीं मिलता दुकाँ , से ।।


रामकिशन शर्मा

Thursday, February 9, 2023

गली से गुनगुनाते निकले

 मस्त   होके  गली  से  गुनगुनाते  निकले

हर लफ्ज़ में था प्यार दिल चुराते निकले।


इश्क़ का मारा हुआ और क्या करता वह

मय  खाने  से  पीकर लड़खड़ाते निकले


अपने हाले दिल की बात किसे बताता

उनके ही ख्यालों में  गुनगुनाते निकले।


घायल  था जो  ज़िगर,बयां और क्या करता

हिया  के  ज़ख्मों  पर मरहम लगाते निकले।


किसे   पता   था  वह  दगा  दे  कर  जाएगी 

अपने  सिर  का बोझ ख़ुद ही उठाते निकले।


दौलत   देख   कर   इरादे  क्यों  बदल  जाते

पैग़ाम - ए - मशाल इश्क़ को जलाते निकले।


न  पूछ कि प्यार में कितना तड़पा है "बिन्दु"

दिल पर पत्थर रखके दिल बहलाते निकले।


स्वरचित मौलिक - बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - ( बिन्दु )

Sunday, February 5, 2023

दास्ताँ -ने -गम

 दास्ताँ -ने -गम सुनाना चाहता हूँ

जख्म-ए-दिल सहलाना चाहता हूँ।


हो गई दीवार नफ़रत की जो खड़ी 

प्यार से उसको गिराना चाहता हूँ।


मुदद्तें हो गईं अब तो बिछड़े हुए

भूल सब गले उसे लगाना चाहता हूँ।


करता हूँ प्यार कितना उस को मैं 

दिल चीर अपना दिखाना चाहता हूँ।


दूरियाँ अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहीं 

भग कर पास उसके जाना चाहता हूँ।


वक़्त ने शायद खा लिया हो पलटा 

किस्मत फिर से आज़माना चाहता हूँ।


काम जो अधर में ही गये थे लटक 

अब शुरू फिरसे करवाना चाहता हूँ।


ध्यान दिया ही नहीं जिन बातों पे था 

ध्यान उन सब पर लगाना चाहता हूँ।


बहुत ज़ी ली जिंदगी तनाव झेलते हुए 

बाकी रही सकूं से बिताना चाहता हूँ।


जो भी हुआ नाकाबिल-ए-बर्दाश्त था 

बुरा सपना समझके भुलाना चाहता हूँ।


जैसे तैसे रोक कर रखे हैं 'शर्मा' ने जो 

गले लग उसके अश्क बहाना चाहता हूँ।


रामकिशन शर्मा

Wednesday, February 1, 2023

अनुभूतियाँ

 कुछ अनुभूतियाँ 

1

अगर तुम्हे लगता हो ऐसा

साथ छोड़ना ही अच्छा है

जिसमे खुशी तुम्हारी, प्रियतम!

इसमे मुझको क्या कहना है

2

जा ही रहे हो लेते जाना

टूटा दिल यह, सपने सारे

क्या करना अब उन वादों का

तड़पाएँगे साँझ-सकारे ।

3

छोड़ गई तुम ख़ुशी तुम्हारी

लेकिन याद तुम्हारी बाक़ी

तुम्हें मुबारक नई ज़िंदगी

 रहने दो मुझको एकाकी

4

जहाँ रहो तुम, ख़ुश रहना तुम

खुल कर जीना हँसते गाते

अगर कभी कुछ वक़्त मिले तो

मिलते रहना आते-जाते


-आनन्द.पाठक-

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...