यहाँ आत्मा का समुदाय है।
इसमें शामिल हों, और आनंद महसूस
करें
अपने सभी जुनून पी लो,
और बदनाम हो।
दोनों आंखें बंद कर लें
दूसरी आँख से देखना।
रात में, आपका प्रिय
भटकता है।
सांत्वना स्वीकार नहीं करते।
तुम विलाप करते हैं, "उसने मुझे छोड़ दिया।" "उसने मुझे छोड़ दिया।"
बीस और आएंगे।
चिंता से खाली रहो,
सोचो किसने सोचा!
आप जेल में क्यों रहते हैं
जब दरवाजा इतना खुला है?
भय-सोच की उलझन से बाहर निकलो।
मौन में रहो ।
रूमी।
सुंदर रचना
ReplyDeleteसादर
Thanks Yashoda Ji
ReplyDeleteगहन रचना
ReplyDeleteDhanyawad Onkar Ji
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteDhanywad Alok Ji
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteआपका धन्यवाद।
Deleteआप जेल में क्यों रहते हैं
ReplyDeleteजब दरवाजा इतना खुला है?
शायद फितरत है...
बहुत ही गहन चिंतनपरक सँजन ।
रूमी - की रचना जीवन के सच को दर्शाती है। आपका धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत अलग तरह की रचना रिंकी जी 👌👌🙏
ReplyDeleteरूमी की रचना है।
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