Thursday, July 25, 2024

प्रेम का मार्ग- Rumi

 प्रेम का मार्ग कोई सूक्ष्म तर्क नहीं है;

वहाँ का द्वार विनाश है;

पक्षी अपनी स्वतंत्रता के लिए आकाश में बड़े-बड़े चक्कर लगाते हैं,

वे यह कैसे सीखते हैं?

वे गिरते हैं, और गिरते हुए, वो अपने पंख खो देते हैं।

तुमने मुझे इतना विचलित कर दिया, 

तुम्हारी अनुपस्थिति मेरे प्रेम को बढ़ाती है।

मत पूछो कैसे, फिर तुम पास आओ;


 मैं कहता हूँ, और तुम उत्तर मत दो,

मत पूछो कि यह मुझे क्यों प्रसन्न करता है।

तारे पूरी रात भोर तक जलते रहते है। 

मै भी उनके तरह जल रहा हूँ। 


तुम झरना हो,

मै सूखा हूँ, बेजान रेत जैसा 



तुम आवाज़ हो,

मै गूंज  हूँ ।

तुम अब बुला रहे हो,

और मै खत्म हो  चूका हूँ। 

2 comments:

Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.

असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...