दोहे -
जीवन होगा दर्द मे , जब तक संकट काल।
संगत सच्ची सार है, विपदा गहरी टाल ।।१
बढी होड यश नाम की,मोल मिले है आज।
झूठा भी सांचा लगे , बहुमत बिकता ताज ।२
बेजोड़ हुऐ लोग थे , मीरां सह रैदास ।
बेबूझ नशा दिव्यता,रंगे थे विश्वास ।।३
तेरा मेरा बित रहा , शिथिल तरंग विचार ।
राम नाम मन भरा, अटका भीतर पार ।।४
कैसा मानव लोभ है, भरा सदा अंबार ।
रात दिवा पहरा लगा, भूला रस संसार ।।५
गर्ग विज्ञ!
No comments:
Post a Comment
Thanks for visiting My Blog. Do Share your view and idea.