Thursday, May 30, 2013

School Managment Commeette


विधायल प्रबंधन समिती
भारत सरकार के द्वारा पारित अधिनियम “शिक्षा के अधिकार “ २००९ के अंतर्गत 6 से १४ वर्ष के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य  शिक्षा उपलब्ध करना का कानून पारित किया इस कानून के अंतर्गत समुदाय की सहभगिता को स्कूल के प्रबंधन कार्य में सुनिश्चित करने के किये “विधायल प्रबंधन समिती” का गठन करने की संकल्पना की है,तथा इसे हर सरकारी विधायल मैं बनाने के लिए अनिवार्य किया है.
विधायल प्रबंधन समिती की गठन की संरचना
·         राज्य के प्रतेक विधायल में समिति का गठन होना जरुरी है
·         समिती का गठन निर्वाचन से किया जायेगा,जिसमे विधायल में नामांकित बच्चो के माता/पिता ही भाग ले सकेगे.
·         समिति मैं 75% अभिभावक सदस्य रहेगे,समिति की कुल संख्या 14 होगी जिसमे 12 सम्बंधित स्कूल मैं पढने वाले बच्चो के माता/पिता  होगे.
·         समिति मैं दो सदस्य अनिवार्य होगे एक सम्बंधित विधायल का प्रधानाध्यापक/शिक्षक और विधायल जिस वार्ड में आता है उसका वार्ड मेम्बर.
·         समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का  होगा

तदर्थ समिति
बिहार राज्य में विधायल प्रबंधन समिती के स्थान पर “तदर्थ समिती” का गठन किया जाया है इसकी मूल संरचना “विधायल प्रबंधन समिती” जैसी ही रखी गई है पर इसमें महत्वपूर्ण बदलाव किये गए है.
·         तदर्थ समिती में सदस्यों की संख्या कुल 6 रखी गई है,जिसमे सम्बंधित विधयाला में नामांकित बच्चो के4 माताए होती है. (कक्षा 2 और अंतिम कक्षा में पढने वाले बच्चो की दो-दो माता)
·         समिति में दो सदस्य अनिवार्य होगे एक सम्बंधित विधायल का प्रधानाध्यापक/शिक्षक और विधायल जिस वार्ड में आता है उसका वार्ड मेम्बर.
·         समिती का निर्वाचन प्रतेक वर्ष होना है.
विधायल प्रबंधन समिती/तदर्थ समिती के कार्य
समिति को कानून के अंतर्गत निम्लिखित जिम्मेदारी प्रदान की गई है
·         विधायल के पोषक क्षेत्र के अन्दर आने वाले 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चो का शत-प्रतिशत नामांकन
होना सुनिश्चित कराना
·         विधायला भवन निर्माण,मध्यन भोजन की देखभाल
·         स्कूल समय पर खुलना और बंद हो  रहा है
·         शिक्षको की उपस्तिथि को देखना
·         शिक्षक बच्चो को मरे-पिटे,दुर्वेव्हार,भेदभाव करे तो समिति के निर्णय से उसकी शिकायत पधाधिकारी को करना
·         वितीय वर्ष के 2 माह पहले विधायल विकास योजना बनाना तथा प्रखंड शिक्षा पधाधिकारी के साथ जिला में प्रेषित करना
·         प्रतेक माह  में बैठक और बैठक की कार्यवाही पंजी मैं सभी सदस्यों के हस्ताक्षर हो
·         शिक्षक बच्चो को पढ़ा रहे है या नहीं
·         विधयाला साफ़-सुधरा है की नहीं
·         सभी बच्चो के पास पुस्तक है की नहीं
·         सभी बच्चे पोशाक मैं है की नहीं

Tuesday, May 28, 2013

कहानी

मेरे होने की कहानी
 ज़िन्दगी की तक़दीर की कहानी
होसलो की दास्ताँ बाकि है
खुशनसीब हूँ की जिंदगी के कुछ
अरमान बाकि है

Sunday, May 26, 2013

A letter to my LOVE

मुझसे मुझी को छीन कर
क्या मिला तोहे पिया
मेरी रवानी छीन कर

मैं हूँ कमली तुझी में हरदम खोई
ठहरी मैं तो उसी वक़्त से, नैना तुम से मिले 
जब से
तेरा आना –जाना और मेरे ताकना
है ये मेरे रोज़ का हिस्सा

तू भुला मुझे को
जानू मैं इस बात को
प्यार,हवा और खुशबू को कैद
कैसे करे कोई
कैसे थोपे किसी पर अपने दिल के जस्बात को

मन तो मलंग है समझे ना अपनी –पराई
पूछे मुझसे तूने क्या खोया
जिस का था सब ले गया
अपने साथ वो

Sunday, May 19, 2013

गाँव

जब गाँव में पगडण्डी थी पाव सरपट बढ़े थे घर की और आज गाँव में सड़क है पर मुझे गाँव नसीब नहीं...................................

Thursday, May 16, 2013

इंतजार


किसी को देखने का
किसी से प्यार पाने का
सुबहे को रात का
रात को सुबहे का
बचपन को जवानी
जवानी को शोहरत का
ता उम्र इंतजार ज़िंदगनी का

Tuesday, May 7, 2013

बिहार विकास में बच्चो का कोंन सा हिस्सा

बिहार ने अपने १०० साल के सफ़र को बड़े धूम-धाम से मनाया अपनी बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धियो के साथ देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेज़ विकास दर का जो बिहार पर पिछाड एवं गरीब राज्य होने के तमके को हटाने की तरफ एक मजबूत कदम है,पर सवाल यह है की विकास किसके लिए किया जा रहा है? क्यूंकि राज्य का एक बड़ा वर्ग विकास होते हुए भी इसके लाभ से वंचित देखी पड़ता है,इसकी पुष्टि खुद सरकार भी अलग –अलग तरीको से करती रही है वो वर्ग है बच्चो का हल ही मैं सरकार ने माना है की राज्य मैं 68%  बच्चे स्कूल से ड्रॉप-आउट है,रास्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के 2012-2013  के रिपोर्ट में बच्चो की चिंताजनक परिस्तिथि को दर्शाता है 80 % बच्चे पाच साल से कम उम्र के कुपोषण के  शिकार है,0-3 वर्ष के बच्चो के  कुपोषण में 3%  की बढ़ोतरी मैं २००२ के मुकाबले दर्ज की गई है,बात सिर्फ बच्चो तक सिमित नहीं है महिलाये की स्तिथि में भी गिरावट दर्ज किया गया है महिलाओ मैं  कुपोषण के स्थर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है 1997 में लगभग ६०% महिलाएं कुपोषण का शिकार थी २००१२ मैं महिलाओ मैं कुपोषण का स्थर  ६८.२%  अंकित  किया है,जिसका सीधा असर बच्चो पर साफ़ तौर से देखने को मिलता है,बात इससे भी आगे की है स्कूल,अगनावडी जैसे बुनियादी सुविधा भी सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे  है कभी शिक्षक हड़ताल पर कभी अगनवाडी कार्यकर्ता अपनी मांगो लेकर प्रदर्शन में लगे रहते है   सब को आपने हित की पडी है  बच्चो की बात सबसे  आखरी मैं की जाती है,गर विकास किसी राज्य के भविष्य(बच्चें) को लाभ  ना पंहुचा रहा हो तो इस मुदे का गंभीरता से हल ढूँढने की आवश्कता है.

Sunday, May 5, 2013

स्वभाव

एक साधु महात्मा कही जा रहे थे  रास्ते में उनकी नज़र पानी  मैं डूब रहे एक बिच्छू पर गई,उन्होंने तुरंत अपना हाथ पानी मैं डाला बिच्छु को निकलने के लिए पर बिच्छु ने उनके  हाथ मैं डंक मार दिया और फिर पानी मैं डूबने लगा,महात्मा ने फिर अपना हाथ बिच्छु को पानी से निकलने के लिए बढया फिर से वही हुआ
आने –जाने वाले राहगीर देखने  लगे जब एक राहगीर से रहा ना गया तब  उसने महात्मा से पूछा,
साधु
 जी आप क्यों इस ज़हरीले बिच्छु को पानी से निकलना चाहते है उसने आपके हाथ को लहू-लुहान कर दिया है ,साधू बोले डंक मारना इसका  स्वभाव है और रक्षा करना मेरा वो अपने स्वभाव के अनुरूप कार्य कर रहा है और मैं मेरे स्वभाव के अनुरूप इसलिए मैं कोशिश करना नहीं छोड़ सकता जब तक मैं बिछ्छु को पानी से  बाहर ना निकाल लूं.

“ससार मैं हर प्राणी अपने स्वभाव के अनुसार  काम करता है हमें दुसरो के बुरे व्यवाहर को  देखकर उनके  साथ बुरा व्यवाहर  कर के अपने आप को नहीं बदलना चहिये”

 

Thursday, May 2, 2013

कहानी-विदाई



सोनी शादी के बाद पहली  बार अपने घर आई है अपने परिवार से मिलने की ख़ुशी छुपाये ना छुप रही है माँ गले लगाकर ससुराल के बारे में पूछती है " दामाद जी कैसे है समधन कैसी है सब ठीक तो है ससुराल में,माँ को सभी सवाल के जबाब जल्दी चाहिए थे शायद इसलिए भी क्यूंकि  सोनी की शादी में दोनों पक्ष में किसी बात को लेकर झगडे की नोबत आगई थी

उसने हँसते हुए कहा सब ठीक है,उसकी  आंखे अपनी विदाई की याद आते ही नम होगी माँ,बहन,भाई सब की आंखे नम थी उस वक़्त को याद कर वो हमेशा रो पड़ती है,
सब उसके आने से खुश थे पर घर के हालात सोनी से छिपी नहीं थी,पिताजी को पिछले तीन महीने से पेंशन नहीं मिली थी  भाई भी अच्छा कमाई नहीं करते बहुत मुश्किल से घर चल रहा था,जब सोनी घर में रहती थी तो घर खर्च में मदद करती  थी,पर शादी के लिए उसने नोंकरी  छोड़ दी और अब उससे ये अधिकार छीन गया
है क्यूंकि की वो अब किसी की घर की बहू है अपनी घर की नहीं रही.
इन्ही सोच में खोई थी की भैया घर आ गए झुककर पैर छुति है तभी भैया ने पूछा कब आयी वो जबाब देने ही वाली थी की भैया बोले जितनी जल्दी हो सके चली जाना

सोनी का  दिमाग जैसे  शुन होगया उसने फ़ोन उठाया कॉल किया .................आज वो घर से विदा होगई


असली परछाई

 जो मैं आज हूँ, पहले से कहीं बेहतर हूँ। कठिन और कठोर सा लगता हूँ, पर ये सफर आसान न था। पत्थर सी आँखें मेरी, थमा सा चेहरा, वक़्त की धूल ने इस...