Saturday, November 30, 2019

रिश्वत


बाबू  साहब कब तक घूमाते रहेंगे, अरे ! तू फिर आ गया।  कितनी बार बताया है की साहब के पास कागज़ रखा है। यही बात हम कब से सुने जा रहे है।  पिछली बार हम आए थे, तब भी यही बात कहे थे आप। सीधे -सीधे काहे नहीं कहते की आपको पैसा चाहिए ?  जब सब मालूम है तुमको तब कहे खातिर तमाशा कर रहा है पैसा दे और काम खत्म कर।

क्या कर रहा है ? दूध को बढ़ा रहे है, इ का मिला रहा है। पाउडर इससे दूध गाढ़ा होता है। आज उ साला…..   बहुत पैसा लिया हमसे।  ज़्यदा बेचेंगे तभी तो भरपाई होगा।  

बाबू साहब आ गए घर।  क्या हुआ मुन्ना को ? देखिए न बाजार से दूध लाए थे। जब से पीया है तबीयत ख़राब हो गई।  चलिए अस्पताल जल्दी।
चलो अपनी जेब फड़वाने ! डॉक्टर तो बस पैसा बनाते है।

2 comments:

  1. रोचक लघुकथा। यह चक्की ही यूँ ही चलती रहती है। इससे लेकर उसको ही इंसान देता जाता है। समझ नहीं पाता है।

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  2. बहुत धन्यवाद आपके टिपणी के लिए।

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